मुंबई, 23 सितंबर। पद्मिनी, एक प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेत्री, नृत्यांगना और कोरियोग्राफर, भारतीय सिनेमा और शास्त्रीय नृत्य में उनके अद्वितीय योगदान के लिए जानी जाती हैं।
त्रावणकोर (वर्तमान केरल) में जन्मी पद्मिनी ने भरतनाट्यम में अपनी असाधारण प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने 250 से अधिक भारतीय फिल्मों में काम किया, जिनमें हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सिनेमा शामिल हैं। उनकी उम्दा अभिनय शैली, भावपूर्ण नृत्य और आकर्षक व्यक्तित्व ने उन्हें 1950 और 1960 के दशक की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक बना दिया।
पद्मिनी का फिल्मी करियर लगभग 30 वर्षों तक चला। उन्होंने 'जिस देश में गंगा बहती है', 'अफसाना', 'चंदा और बिजली', 'रागिनी', 'अमरदीप', 'राजतिलक', 'मेरा नाम जोकर', 'आशिक', 'भाई-बहन', 'दर्द का रिश्ता', 'मस्ताना', 'परदेसी' जैसी कई फिल्में कीं। उन्होंने राज कपूर, एम. जी. रामचंद्रन, शिवाजी गणेशन, राजकुमार, प्रेम नासिर, एनटी रामा राव, सत्यन, देवानंद और शम्मी कपूर जैसे मशहूर अभिनेताओं के साथ काम किया।
अपनी बहनों ललिता और रागिनी के साथ मिलकर उन्होंने ‘त्रावणकोर सिस्टर्स’ के रूप में भी ख्याति प्राप्त की। पद्मिनी ने न केवल सिनेमा में बल्कि शास्त्रीय नृत्य के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और चेन्नई में अपनी नृत्य अकादमी स्थापित की। उनकी कला और समर्पण आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
24 सितंबर को उनकी पुण्यतिथि होती है। पद्मिनी को डांस को लेकर इतना जुनून था कि एक बार उनके डांस को देख शोमैन राज कपूर भी खड़े होकर तालियां बजाने को मजबूर हो गए थे। यह किस्सा उनके कई पुराने इंटरव्यू में पढ़ने को मिलता है।
यह किस्सा तब का है जब पद्मिनी अपनी मशहूर फिल्म 'जिस देश में गंगा बहती है' की शूटिंग राज कपूर के साथ कर रही थीं। पद्मिनी एक बेहद कुशल भरतनाट्यम नृत्यांगना थीं, और उनकी कला का लोहा पूरा देश मानता था।
फिल्म में एक ऐसा दृश्य था जहां उन्हें बिना किसी बैकग्राउंड म्यूजिक या कोरियोग्राफर के सिर्फ अपने अभिनय से राज कपूर के सामने नृत्य करना था। यह एक बहुत ही मुश्किल और असामान्य चुनौती थी, क्योंकि इसमें सिर्फ चेहरे के भावों और शरीर की भाषा से पूरी कहानी कहनी थी।
पद्मिनी ने बिना किसी झिझक के यह चुनौती स्वीकार की। जैसे ही कैमरा रोल हुआ, पद्मिनी ने अपने पैरों से नहीं, बल्कि अपने चेहरे के भावों से नृत्य करना शुरू किया। इस दौरान वह अपने चेहरे पर इतने भाव लाई कि वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। राज कपूर, जो अपने काम में परफेक्शन के लिए जाने जाते थे, पद्मिनी के इस शानदार परफॉर्मेंस को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।
सीन खत्म होने के बाद, राज कपूर अपनी कुर्सी से खड़े हुए और उन्होंने तालियां बजाईं। उन्होंने पद्मिनी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा भावपूर्ण नृत्य नहीं देखा था। यह किस्सा पद्मिनी की कला और उनकी प्रतिभा को दर्शाता है, जिसने एक सीन को सिर्फ यादगार ही नहीं, बल्कि अमर बना दिया। पद्मिनी ने यह दिखा दिया कि सच्चा नृत्य सिर्फ ताल और लय का मोहताज नहीं होता, बल्कि वह चेहरे के भावों और दिल की भावनाओं से भी व्यक्त किया जा सकता है।
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